Wednesday, December 31, 2014

Kal Ki Dahleez pe

एक नयी  शयम का नयासवेरा।
इस वक़्त की सचाई और आनेवाले कल की हक़ीक़त।
कुछ घण्टों मैं आज और कल एक लम्हे समृबारु होंगे।
एक शन मैं पिछला मिट जायेगा।
कल सिर्फ आस होगा ।
इस हक़ीक़त का हम जश्न मानते है
उस खुद्दा को कयनाद का वास्ता देते है।
की कल का नया दिन आज का दद्र्द मिटा दे और  ख़ुशी के कुछ गिरी हुई पंखुलिया
आमीन केह  कर छीपा दे. 

No comments: